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लेखनी कविता -18-Mar-2022

बदल जरूर गया हूं मगर ऐसा नहीं
कि अब उस से मोहब्बत नहीं रही ।

चाहत तो अब भी उतनी ही है लेकिन
जज़्बात में पहले जैसी शिद्दत नहीं रही।

मोहब्बत के नाम पर होते हैं तमाशे
रुह से की जाने वाली इबादत नहीं रही

प्यार के नाम पर धोखे का चलन है
अब मोहब्ब्त में पहले सी राहत नहीं रही

नाम ए मोहब्बत पर ऐसे जख्म मिले हैं कि
दोबारा इश्क करने की अब चाहत नहीं रही


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5 Comments

Seema Priyadarshini sahay

22-Mar-2022 12:47 AM

बहुत खूबसूरत

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Zakirhusain Abbas Chougule

20-Mar-2022 01:11 AM

Nice

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Swati chourasia

19-Mar-2022 08:29 AM

वाह बहुत सुंदर 👌

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